कोडरमा : ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ के आह्वान पर समाहरणालय में हज़ारो ढिबरा मजदूर का अनिश्चितकालीन धरना शुरू

ढिबरा का रोजी-रोजगार बचाने और ढिबरा नीति लागू कराने के लिए समाहरणालय में उमड़ी जनसैलाब

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विधायक से सांसद बन दो दशक में अपने फायदा के लिए दल और दिल बदला,लेकिन ढिबरा के लिए नही लड़ी लड़ाई- कृष्णा घटवार

अबरख नगरी की पहचान है माइका/ढिबरा,पहचान मिटाने की हो रही साज़िश- डीएसएमएस

ब्युरो चीफ-रवि छाबड़ा

कोडरमा : ढिबरा को लेकर प्रशासन की सख़्ती और सरकार के स्तर पर ढुलमुल रवैया के खिलाफ ढिबरा मजदूरों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।ढिबरा नीति को लेकर झारखण्ड सरकार ने 2021 में झारखण्ड लघू उद्योग समनुदान (संशोधन) की अधिसूचना लाई थी। जिसमे जेएसएमडीसी (JSMDC) के जरिये को-ऑपरेटिव गठन कर ढिबरा व्यापार बढ़ाने का निर्णायक कदम उठाया गया था।इस नीति को तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन ने 17 जनवरी 2022 कोडरमा में हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया था। लेकिन 2 सालों बाद भी ढिबरा नीति लागू नही किया जा सका है।वहीं ढिबरा के परिवहन और भंडारण को लेकर जिला प्रशासन सख्त रवैया अख्तियार कर ली है। ढिबरा लदी वाहनों को पकड़ा जा रहा, ढिबरा मजदूरों पर केस दर्ज किया जा रहा एवं ढिबरा गोदाम को सील किया जा रहा है। ढिबरा पर प्रशासन की सख्ती से ढिबरा व्यापार से जुड़े व्यापारी पलायन कर रहे या व्यापार बंद कर रहे। ढिबरा की खरीद बिक्री बंद होने से सबसे ज्यादा प्रभाव लाखो ढिबरा मजदूरों पर पड़ा है। इनमें कइयों पर सीसीए (CCA) के तहत मामला दर्ज किया है,वहीं ढिबरा मजदूर भुखमरी-बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर है। इन मुद्दों पर ढिबरा मजदूर आक्रोशित है और ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ, कोडरमा के आह्वान पर 12 फरवरी को समाहरणालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गए। धरना की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष कृष्णा सिंह घटवार ने की, जबकि संचालन रीतलाल सिंह,प्रकाश साव ने संयुक्त रूप से की। धरना को ढिबरा स्क्रैप संघ के सचिव राजकिशोर सिंह,महेंद्र सिंह,मुखिया सीता देवी,उमा देवी, नारायण सिंह, सोनिया देवी, दिनेश यादव,दुर्गा सिंह ने संबोधित किया।

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ये लोग रहे मौजूद

संजय कुमार, सरस कुमार बबलू,मो कलीम अंसारी, शिवनारायण राम,विकास कुमार,प्रमोद मोदी,पूनम देवी, नरेश सोरेन, मो फिरोज, रौशन सिंह,लिटिल माइका गर्ल शमां प्रवीण,सागर प्रेम, रहीशा प्रवीण,विश्वनाथ राय,महादेव सिंह,शिवशंकर राय, अनिता देवी, बालदेव मुर्मू, अजित वर्णवाल, सुनीता बिरहोरिनी, रामकिशुन यादव, अर्जुन सिंह, रवि कुमार सिंह, महेंद्र सिंह, सूरज कुमार, कलीम अंसारी, सिकंदर यादव, रोहित कुमार, रामस्वरूप सिंह, सुरेश कुमार यादव, रामकिशुन यादव, सोहन यादव, मनोज यादव, विश्वनाथ मोदी समेत हज़ारो लोग मौजूद थे।

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लाखों ढिबरा मजदूरों के पेट पर लात मार रही प्रशासन,आर-पार की होगी लड़ाई- कृष्णा घटवार

ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष कृष्णा सिंह घटवार ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि लाखों ढिबरा मजदूरों के पेट पर लात मार रही है जिला प्रशासन। उन्होंने कहा कि ढिबरा मजदूरों पर CCA लगाया गया है। क्राइम कंट्रोल एक्ट में कुख्यात अपराधियों को जिला बदर करने का प्रावधान है। अपराधी एक दर्जन गंभीर मामले में शामिल हो या एक साल में दो से तीन बड़े कांड किये हो,उनपर CCA लगाया जाता है।ये पूर्णतः तानाशाही निर्णय है और कोडरमा के मान सम्मान के साथ खिलवाड़ है। प्रशासन ढिबरा चुनकर जीवनयापन करने वालों को कुख्यात अपराधी बना दी है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने ठोस नीति निर्धारण किया था,तभी सीएम ने ढिबरा वाहन को JSMDC डंप के लिए रवाना किया था। उस नीति को आगे बढ़ाने की जगह प्रशासन नीति को ही ध्वस्त करने में लगी है। उन्होंने कहा कि माइका की वजह से कोडरमा की पहचान दुनियां भर में है।अबरख नगरी की पहचान मिटाने की साजिश रची जा रही है। जंगल मे खनन करना अपराध है, लेकिन जंगल मे पुराने माइका खदान के बाहर फेंके गए कचरा से ढिबरा चुनना अपराध नही, जीवनयापन का साधन है। उन्होंने कहा कि नियम कानून संसद और विधानसभा में बनता है।लेकिन दुर्भाग्य है कि फारेस्ट एक्ट का हवाला देकर ढिबरा को अवैध व्यापार घोषित कर दिया गया, लेकिन संसद में आवाज़ तक नही गूंजती। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशक से सत्ता एक ही व्यक्ति के पास है।ढिबरा मजदूरों का वोट लेकर विधायक से सांसद बन गए।दल और दिल बदला लेकिन ढिबरा के लिए कभी नही लड़ा। जनता सब समझती है, जो ढिबरा की बात करेगा, वही कोडरमा में आगे राज करेगा। ढिबरा मजदूरों की लड़ाई जारी रहेगी,जबतक ढिबरा नीति लागू नही होती।इसबार आर-पार की लड़ाई है। प्रशासन और सरकार को जीवनयापन चलाने के लिए ढिबरा को लेकर ठोस नीति बनानी ही पड़ेगी। प्रशासन रास्ता निकाले, जिससे राजस्व भी मिले और ढिबरा व्यापार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत बनें।

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सैकड़ो वाहनों से 100 से ज्यादा गांव के लोग पहुंचे

कोडरमा के जंगली क्षेत्र में रहने वाले ढिबरा मजदूर बस,सवारी जीप,टेकर,ऑटो और बाइक से भारी संख्या में धरना में शामिल होने समाहरणालय पहुंचे। कोडरमा के गझण्डी,जरगा, बेंदी,सपही, ढोढाकोला,जानपुर,इंदरवा, बंगाखलार,मेघातरी,ताराघाटी,सलैया,बसरौन,करमा,पुरनानगर,नगरखारा,फुलवरिया,नावाडीह समेत नगर परिषद झुमरीतिलैया,नगर पंचायत कोडरमा, नगर पंचायत डोमचांच के अलावे करीब सौ से ज्यादा गांव के लोगों ने धरना में शिरकत किया।

धरना की वजह से जिला मुख्यालय में ट्रैफिक जाम,वाहनों की लंबी कतारें

अनिश्चितकालीन धरना में शामिल होने वाहनों से पहुंचे ढिबरा मजदूरों की भारी भीड़ से कोडरमा बाजार से ध्वजाधारी धाम तक दिनभर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रही। भीड़ का आलम ये था कि समाहरणालय के आसपास कोई भी स्थान पार्किंग के लिए बची नही थी। धरना स्थल पर वाहनों की लंबी फेहरिस्त दिनभर लगी रही। कई वाहने एनएच किनारे बाघीटांड तक लगी रही। वहीं धरना स्थल पर दिनभर जनसैलाब उमड़ने से व्यवस्था तीतर बितर होती रही।

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ये है प्रमुख मांगे

1.JSMDC के तहत पूर्व में निर्धारित ढिबरा नीति को प्रभावी ढंग से अविलम्ब लागू किया जाए।

2.प्रशासन द्वारा कार्रवाई के नाम पर कई ढिबरा गोदाम को सील कर दिया गया है। इन्हें अविलंब मुक्त किया जाए, ताकि गरीब ढिबरा मजदूरों का ढिबरा बेचकर भुगतान किया जा सके।

3. ढिबरा मजदूरों पर पक्षपातपूर्ण व अन्यायपूर्ण तरीके से CCA लगाया गया है, जिससे ढिबरा मजदूर खतरनाक अपराधी के रूप में परिभाषित किया जा रहा। ढिबरा मजदूरों पर दर्ज CCA को अविलम्ब हटाया जाए।

4. जिले के विभिन्न थानों में परिवहन,भंडारण को लेकर ढिबरा मजदूरों पर असत्य व फर्जी तरीके से मामला दर्ज कराया गया है,इसे अबिलम्ब वापस लिया जाए।(उदाहरण- दिल्ली, मुम्बई में घटना से 4-5 महीने पलायन करने वालों को भी केस में नाम जोड़कर परेशान किया जाता है)

5. ढिबरा भंडारण,परिवहन,खरीद बिक्री को लेकर कानूनी अड़चन को अविलंब दूर कर सकारात्मक समाधान निकाला जाए।

6. छत्तीसगढ़ के तर्ज पर जंगली क्षेत्र में ढिबरा चुनने,भंडारण,परिवहन का नीति निर्माण किया जाए।छत्तीसगढ़ में जंगल से बीड़ी पत्ता चुनने,भंडारण, परिवहन का अधिकार वहां के लोगों को प्राप्त है।

7. ढिबरा को लेकर भंडारण,गोदाम का लाइसेंस सरल तरीके से आर्थिक दोहन से मुक्त प्रणाली के द्वारा पारदर्शी तरीके से कराया जाए।

8. ढिबरा गोदाम को सील करने के नाम पर व्यापारी और गोदाम संचालक पर गैरजरूरी तरीके से परेशान नही किया जाए।

9. ढिबरा को लेकर जबतक नई नीति धरातल पर लागू नही होती, तबतक छोटे स्तर पर ढिबरा चुनने, परिवहन और भंडारण को लेकर स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक समाधान निकाला जाए।

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