अयोध्या राम मंदिर: भगवान राम भी आए थे झारखंड, चौमासा की इन गुफाओं में बिताए थे दिन, आज भी मौजूद हैं निशान

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सिमडेगा: आज रामलला अयोध्या में विराजमान होने जा रहे हैं. पूरा देश राममय है, ऐसे में हम आपको रामकाल में झारखंड से जुड़ी कुछ जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं। भगवान राम अपने वनवास काल के दौरान झारखंड के सिमडेगा भी आये थे. आज भी उस स्थान पर भगवान राम से जुड़ी कई निशानियां मौजूद हैं। मंडप, शिवलिंग जैसे कई स्मारक आज भी रामकाल के वनवास की याद दिलाते हैं। सिमडेगा जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर एक धार्मिक स्थल, जहां स्वयं मयार्दा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के साथ आये थे।

रामरेखा धाम श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है. लोगों का मानना है कि बड़े-बड़े पत्थरों से ढकी गुफा के अंदर छत पर बनी रेखाएं भगवान श्रीराम ने स्वयं खींची हैं। इसी कारण से इस पवित्र पूजा स्थल का नाम रामरेखा धाम है। यह धाम धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। रामरेखा धाम में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है। गुफा के अंदर छत पर खींची गई रेखा को रामरेखा कहा जाता है। लोगों का कहना है कि 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण इस स्थान पर आए थे और कुछ समय के लिए यहां रुके थे।

अग्निकुंड, चरण पांडुका, सीता चूला, गुप्त गंगा आदि जैसी कुछ पुरातात्विक संरचनाओं से पता चलता है कि उन्होंने बानवास की अवधि के दौरान इसी मार्ग का अनुसरण किया था। लोग भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान और भगवान शिव के मंदिरों को देखने के लिए रामरेखा धाम आते हैं, जो एक झुकी हुई गुफा में स्थित है। यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है। विभिन्न राज्यों और सभी समुदायों के लोग यहां आते हैं और अपनी खुशी के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।

पहाड़ की गुफा में बना पुरातात्विक महत्व का यह मंदिर न केवल धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में बल्कि अपने खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी जाना जाता है… रामरेखा धाम में कई ऐसे साक्ष्य हैं, जो यहां की पुरातात्विक संरचनाओं का खुलासा करते हैं। सीता चूल्हा, गुप्त गंगा, भगवान की चरण पादुका आज भी यहां मौजूद हैं। मयार्दा पुरूषोत्तम अपने वनवास के दौरान इसी मार्ग से गुजरे थे। राम रेखा धाम परिसर में भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान के अलावा भगवान शंकर की भी मूर्तियां हैं। वैसे तो यहां हर दिन श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं, लेकिन कार्तिक मेले के दौरान पूर्णिमा के मौके पर यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

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यहां झारखंड के अलावा कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं. वैसे तो यहां हर दिन श्रद्धालु पूजा करने आते हैं, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के समय यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं। रामरेखा धाम के प्रति हिंदुओं के अलावा अन्य समुदायों में भी आस्था देखी जाती है. इस अवसर पर अन्य समुदाय के लोग भी यहां आते हैं और सुखी जीवन की कामना करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस मेले का उन्हें पूरे साल इंतजार रहता है.

मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान रामरेखा धाम के अलावा झारखंड के इचागढ़ क्षेत्र में भी अपने दिन गुजारे थे। मान्यताओं के आधार पर इससे जुड़ी कई किंवदंतियां आज भी क्षेत्र में सुनी और सुनाई जाती हैं। जमशेदपुर से लगभग 70 किलोमीटर दूर पश्चिम-उत्तर स्थित ईचागढ़ के आदरडीह गांव की सीमा पर स्थापित माता सीता के मंदिर के प्रति लोगों की अटूट आस्था है। इस क्षेत्र में रामायण काल के अलावा महाभारत काल के भी कुछ निशान मौजूद हैं।

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