ब्युरो चीफ गिरिडीह – मनोज लाल बर्नवाल
देवरी/गिरिडीह : कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन द्वारा संचालित बाल मित्र ग्रामों में गठित महिला मंडल के सदस्यों के साथ जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन बाल मित्र ग्राम तिलकडीह में किया गया।
महिला हिंसा उन्मूलन दिवस का महत्व समाज में महिलाओं के प्रति हिंसा और शोषण को समाप्त करने, जागरूकता बढ़ाने, और समानता व सम्मान की स्थापना करने के उद्देश्य से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य न केवल महिलाओं और लड़कियों के प्रति होने वाले हर प्रकार के शोषण को उजागर करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि हर महिला एक हिंसा-मुक्त और गरिमापूर्ण जीवन जी सके। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य निम्न हैं –
जागरूकता बढ़ाना- महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, दहेज उत्पीड़न, एसिड अटैक, और अन्य प्रकार के शोषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस महत्वपूर्ण है।
बहुत सी महिलाएं खुद भी नहीं जानतीं कि उनके साथ हो रहे अनुचित व्यवहार एक प्रकार का शोषण है। इस दिन के माध्यम से उन्हें उनकी सुरक्षा और अधिकारों के बारे में शिक्षित किया जाना महत्वपूर्ण है।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देना- यह दिवस समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता और उनके अधिकारों को बढ़ावा देने का कार्य करता है। जिससे करुणामय समाज निर्माण में महिलाओं की सक्रिय भूमिका को भी गति प्रदान मिलेगी, और ऐसे मे पुरुषों और महिलाओं दोनों को संवेदनशील बनाने के प्रयास किया जाना आवश्यक हैं, ताकि वे महिलाओं के प्रति सम्मानजनक और सहयोगी दृष्टिकोण अपनाएँ।
कानूनी जागरूकता- कई महिलाएं यह नहीं जानतीं कि उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपाय मौजूद हैं। यह दिवस उन्हें घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, और अन्य प्रकार की हिंसा से निपटने के लिए कानूनी अधिकारों और उपलब्ध संसाधनों के बारे में जागरूक करने का एक अवसर है। यह दिन महिलाओं को उनकी कानूनी सहायता और न्याय प्राप्त करने के तरीकों से अवगत कराता है, जिससे वे खुद को सुरक्षित और सशक्त महसूस कर सकें।
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुरक्षित करना- महिलाओं पर होने वाली हिंसा उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। यह दिवस उन मुद्दों को संबोधित करता है और महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा देता है।
समाज में सकारात्मक बदलाव लाना- महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के माध्यम से समाज में यह संदेश दिया जाता है कि किसी भी प्रकार की हिंसा अस्वीकार्य है।
यह एक ऐसा वातावरण बनाने में सहायक होता है, जहाँ महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और समानता मिले और हिंसा की घटनाओं को रोका जा सके।
महिलाओं को सशक्त बनाना- यह दिवस महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनने के लिए प्रेरित करता है, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए खड़ी हो सकें और हिंसा का सामना कर सकें।
महिलाओं को अपने आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है, जिससे वे समाज में बेहतर तरीके से अपनी भूमिका निभा सकें।
हिंसा के खिलाफ एकजुटता और सहयोग- महिला हिंसा उन्मूलन दिवस 25 नवंबर से 10 दिसंबर (मानवाधिकार दिवस) तक चलने वाले 16 दिनों के सक्रियता अभियान की शुरुआत भी होती है, जिसमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए जागरुक्ता के मध्यम से महिलाओं को सशक्त और हिंसा-मुक्त जीवन प्रदान करने में सहायक होती हैं।
महिला हिंसा उन्मूलन दिवस का उद्देश्य समाज में महिलाओं के प्रति सम्मानजनक वातावरण का निर्माण करना है, जहाँ उन्हें हर प्रकार के शोषण से सुरक्षा मिल सके। यह दिवस न केवल महिलाओं को जागरूक और सशक्त बनाता है, बल्कि पूरे समाज को एक समतामूलक और हिंसा-मुक्त दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन द्वारा गठित महिला मंडल के सदस्यों, आंगनवाड़ी सेविकाओं और किशोरियों के बीच यह जागरुकता कार्यक्रम आयोजित की गयी, कार्यक्रम में ज़ेरोडीह, पंदनाडीह, परसाडीह, लाहीबाड़ी, सालबाईहियार, बाघ रायडीह, फुटका, कोयरीडीह, कोवातांड, गरही, चौंकी, भातु रायडीह,तिलकडीह बाल मित्र ग्राम की महिलाओं और किशोरियों ने भाग लिया।
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